कवर्धा. नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में गुरुवार को जिला सत्र न्यायालय के विशेष न्यायाधीश उदय लक्ष्मी सिंह परमार ने आरोपी यशवंत चंद्रवंशी, पिता – तिलक चंद्रवंशी को दोषी मानते हुए धारा 323 भारतीय दंड संहिता के तहत छः माह और धारा 06 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम के तहत 20 साल का सश्रम कारावास व डेढ़ हजार के अर्थदंड से दंडित किया है। साथ ही अर्थदंड का भुगतान नहीं करने पर छः माह का अतिरिक्त सजा सुनाई गई है।
दरअसल पूरा मामला आज से चार साल पहले की है। जब कोतवाली थाना में नाबालिग के शिकायत के आधार पर आरोपी यशवंत चंद्रवंशी के खिलाफ धारा 294, 323, 506 , 376 (2) द व धारा 06 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 के तहत मामला दर्ज किया गया। शिकायत में बताया गया कि आरोपी यशवंत चंद्रवंशी द्वारा शादी का झांसा देकर नाबालिग से ने केवल संबंध बनाया बल्कि दुष्कर्म कर जान से मारने की धमकी दी गई।
पिता के रसूख के चलते बचा था आरोपी
बताया जाता है कि आरोपी यशवंत चंद्रवंशी के पिता तिलक चंद्रवंशी ठेकेदारी का काम करते है। ठेकेदारी और पैसे के रसूख के चलते पिछले चार साल तक आरोपी कभी कोर्ट से जमानत तो कभी फरारी काट रहा था। पिता की पुलिस और वकीलों में पकड़ के चलते भी पीड़िता को इंसाफ के लिए चार साल तक इंतजार करना पड़ा। इस बीच न केवल पीड़िता बल्कि उनका पूरा परिवार मानसिक यातनाएं और संघर्षों से जूझता रहा। आखिरकार 7 मार्च को अंतिम सुनवाई करते हुए विशेष न्यायधीश उदय लक्ष्मी सिंह परमार ने आरोपी यशवंत चंद्रवंशी को 20 साल और छः माह की सुनाया है। इस सुनवाई में शासन की ओर से अतिरिक्त लोक अभियोजन पीएन शिवोपासक ने पैरवी की है।