कवर्धा/यूनिसेफ, जिला प्रशासन, और एग्रिकॉन्स फाउंडेशन के संयुक्त तत्वाधान से, “स्वयंसेवा से स्वयंसिद्ध” कार्यशाला का आयोजन स्वयंसेवकों को सशक्त करने के उद्देश्य से किया गया। प्रशिक्षक प्रो. दीपक तेरैया, जिन्होंने सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों के लिए 1700 से अधिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों को संचालित किया है। 25 वर्ष के अनुभव के दौरान 15 लाख से अधिक लोगों को प्रेरित किया है। उनका योगदान शिक्षा, बाल मनोबल और पेरेंटिंग पर 3 पुस्तकों की सह-लेखनी में भी शामिल है।
कार्यशाला में ज़िला बाल संरक्षण अधिकारी सत्यनारायण राठौर, जिला परियोजना समन्वयक चाइल्ड हेल्पलाइन महेश निर्मलकर, अथिति के रूप में चित्रारेखा राडेकर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कबीरधाम, चंद्रकांत संयोजक जन स्वास्थ्य अभियान छत्तीसगढ़, छत्तीसगढ़ एग्रीकन फाउंडेशन से दानिश खान के साथ कार्यशाला में 107 कवीर स्वंयसेवी स्वयंसेवकों ने हिस्सा लिया। कार्यशाला की उच्च सक्रियता विभिन्न रोचक एवं प्रेरणादायक गतिविधियों से भरी थी।
एक-दिवसीय कार्यशाला में स्वयंसेवा के महत्वपूर्ण पहलुओं पर ध्यान केंद्रित था, जिसमें स्वयंसेवा के पीछे छिपे अर्थ और महत्व को बढ़ावा दिया गया। प्रो. तेरैया ने उपस्थित सभी को “सीखें, जीएं और नेतृत्व” के सिद्धांतों के माध्यम से एक उत्साही और प्रेरित स्वयंसेवक बनने की राह दिखाई। कार्यशाला ने उन्हें उनके समुदायों में विभिन्न सामाजिक मुद्दों को उठाने और सुलझाने के लिए अवसर प्रदान किया। चंद्रकांत ने कहा कि कबीरधाम के कबीर स्वयं सेवियो द्वारा स्वयं के व्यक्तित्व विकास के साथ साथ समाज के हर वर्गों को मदद पहुंचाया जा रहा है, यह सराहनीय प्रयास है। उन्होंने स्वयं राह मंजिल की चुनने के लिए प्रेरणा दायक कथन कहते हुए बताया कि सभी युवा जो आता है जो भाता है उसे ही लागू करने के लिए और अपने कौशल को बढ़ाने के लिए प्रेरित किया ।
इस कार्यशाला का संचालन ज़िला समन्यवक दीपक बागरी ने किया कार्यक्रम में एग्रीकान फाउंडेशन की टीम से नितेश चंदेल, भूमिका सूर्यवंशी, सुरेन्द्र सोनकर, कविता लांझी और आस्था केसरवानी का सहयोग रहा।
कार्यशाला के बाद, एक उत्साही स्वयंसेवक अमितेश ने कहा, ” इस तरह के भावपूर्ण वक्तव्य वाले उन्मुखीकरण कार्यक्रमों का आयोजन समय समय पर आयोजित किया जाना चाहिए, ताकि वर्तमान परिदृश्य में लोगों के भीतर भाव व्यक्त करने का वातावरण मिल सके । वहीं कुंती साहू ने कहा कि उनकी भावना जिले के सभी स्वयंसेवकों के लिए अत्यंत प्रेरणादायक रही। महिला बाल विकास विभाग से आए आधिकारियों ने भी बाल अधिकार और चाइल्ड हेल्प लाइन नंबर 1098 की जानकारी दी।
“स्वयंसेवा से स्वयंसिद्ध” कार्यशाला यूनिसेफ, जिला प्रशासन और एग्रिकॉन्स फाउंडेशन के सहयोग से किया जा रहा है, जो स्वयंसेवा और समुदाय सेवा की भावना को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान करती है। स्वयंसेवक अपने समुदायों में नई जानकारी और प्रेरणा से लौटते हैं, इस कार्यशाला से समाज के सुधार में सामर्थ्यपूर्ण योगदान करने की उम्मीद की जा रही है।