कवर्धा। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के कार्यपालन अभियंता जितेन्द्र कुमार मेश्राम के संरक्षण में जिले के ठेकेदारों द्वारा जमकर भ्रष्टाचार और मनमाने पूर्ण कार्य को अंजाम दिया जा रहा है। लागातार शिकायतों के बावजूद PMGSY के नुमाइंदे मूक दर्शक बनकर भ्रष्टाचार और लापरवाही को मौन सहमति दे रहे हैं। इसकी बानगी के तौर पर पंडरिया विकासखण्ड के धोबगड्डी में चल रहे नवीनीकरण कार्य को देख सकते हैं।
दरअसल पंडरिया विकासखण्ड के धोबगड्डी से केसलमरा तक तकरीबन 8 किलोमीटर सड़क का नवीनीकरण कार्य करने के लिए कुर्मी बेना कंट्रकंशन कंपनी को ठेका दिया गया है। जिसकी लागत तकरीबन 207.77 लाख रुपए है। इस सड़क का नवीनीकरण करने के लिए 5 माह पहले ही वर्क आर्डर जारी किया गया था इसके बावजूद अभी तक ठेकेदार द्वारा काम शुरू नहीं किया गया है। जबकि सड़क नवीनीकरण का कार्य छः महीने में पूरा करना है। ठेकेदार की लापरवाही और मनमानी के बावजूद प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क के अधिकारी ना तो ध्यान दे रहे हैं और ना ही कोई कार्रवाई कर रहे हैं। इधर सड़क से आवागमन करने वाले ग्रामीणों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। जिससे ग्रामीणों की नाराजगी बढ़ गई है। नाराज ग्रामीणों ने जल्द ही सड़क नवीनीकरण कार्य शुरू नहीं करने पर प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क कार्यकाल का घेराव करने की चेतावनी भी दी है।
ग्रामीणों ने बताया कि धोबगड्डी से केसलमरा तक सड़क बेहद जर्जर हो चुका है। जिसके चलते आवागमन में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। वहीं गन्ना कटाई का सीजन होने की वजह से किसानों को भी हर रोज भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। इतना ही नहीं ग्रामीणों का आरोप है कि ठेकेदार द्वारा सड़क का नवीनीकरण किए बिना ही केवल सूचना पटल का बोर्ड लगा दिया गया है आशंका है कि ठेकेदार और अधिकारी ने सड़क नवीनीकरण किए बिना ही राशि का आहरण किया है। यही वजह है कि छः महीने में कार्य पूर्ण करना था लेकिन पांच महीने बाद भी कार्य शुरू नहीं किया गया है केवल बोर्ड लगाया है। अब केवल एक महीने में ठेकेदार कैसे पूरा कर पाएगा ये बड़ा सवाल है। इसीलिए ग्रामीणों को आशंका है कि ठेकेदार और अधिकारी के मिली भगत से नवीनीकरण कार्य को जानबूझकर लेट किया गया ताकि डेट निकल जाए और कागज में कार्य को पूरा किया जाए।
इस मामले पर कलेक्टर जनमेजय महोबे ने कार्यपालन अभियंता जितेन्द्र मेश्राम को कार्य शुरू करवाने और संबंधित ठेकेदार पर वैधानिक कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। अब देखना यह होगा कि कलेक्टर के संज्ञान में आने के बाद अधिकारी और ठेकेदार हरकत में आते हैं या नहीं।