ज्ञात हो कि, अंबिकापुर के पक्षी प्रेमी डा. हिमांशु गुप्ता के साथ रायपुर के जागेश्वर वर्मा और कवर्धा के अविनाश भोई की टीम ने इसकी फोटोग्राफी की है। भारत के शोधकर्ताओं, विज्ञानियों और पक्षी प्रेमियों के साथ ई बर्ड से जुड़े लोगों के सहयोग से यह कार्य हुआ है।
दरअसल, यह पक्षी कई महासागर और महाद्वीप को पार करने में माहिर है। व्हिंब्रेल पक्षी घुमावदार चोंच और धारीदार सिर के साथ आसानी से शिकार कर लेता है। पानी के आसपास पाए जाने वाले सभी कीड़े मकोड़े इसका आहार होते हैं। इसके प्रवास और पसंदीदा क्षेत्र को सैटेलाइट टैगिंग की मदद से पड़ताल किया जा रहा है। छत्तीसगढ में प्रवासी पक्षियों के अध्ययन में जीपीएस टैगिंग वाला व्हिम्ब्रेल पक्षी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इसमें पीले रंग का टैग लगा हुआ है। पक्षी प्रेमियों का मानना ही कि जियो टैगिंग से प्रवासी पक्षी के भ्रमण काल , क्षेत्र , पसंदीदा वातावरण का अध्ययन करने में मदद मिले।
यह पक्षी भूमध्य सागर से लगे क्षेत्रों में निवास करता है। प्रजनन के लिए विंबरेल पक्षी एशिया और यूरोपीय देशों में हजारों किलोमीटर की उड़ान भरकर जाता है। इसी प्रक्रिया के दौरान आज कल बेमेतरा और खैरागढ़ क्षेत्रों में झीलों के पास देखा गया है। लंबे पैर लंबी चोंच और भूरे धब्बों वाला यह पक्षी आज कल पक्षी प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।