कवर्धा/यूनिसेफ और कॉमनलैंड संस्था के सहयोग से छत्तीसगढ़ एग्रीकॉन समिति, ने कवर्धा में “नारी:चेतना पर चिंतन” शीर्षक से एक परिवर्तनकारी तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन कवर्धा में किया गया।
चेतना पर चिंतन” (महिला चेतना पर विचार-विमर्श)। इस कार्यशाला का उद्देश्य था महिला सशक्तिकरण को आगे बढ़ाना और आगामी वर्षों के लिए एक रणनीतिक नीति बनाना।
इसके लिए ग्रामीण परिदृश्य को समझ कर कार्यशाला की शुरुआत की गई जिसमें वास्तविक जीवन के परिदृश्यों को समझते हुए महिलाओं के साथ बातचीत में उनकी दैनिक चुनौतियों और जरूरतों के बारे में जानकारी हासिल कर एक मजबूत आधार तैयार किया गया ।
महिलाओं के कानूनी अधिकार, स्वास्थ्य, शिक्षा, वित्तीय मुद्दों की जानकारी दी गई। इसके साथ अंतराष्ट्रीय श्रमिक संगठन के आंकड़े के मुताबिक एक समझ बनाने कि कोशिश की गई कि महिलाएं पूरे 24 घंटे में कितना काम करती है ? और पुरुष कितना काम करते है ? अलग अलग तरह के भेदभाव जो सामाजिक रूप से जड़ गए है महिलाएं उसको अपना लिए है इन सभी के ऊपर चर्चा किया गया
“नारी: चेतना पर चिंतन” कार्यशाला योजना की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है जो महिलाओं को सशक्त बनाना के लिए एक रोड मैप तैयार किया गया है जिसके माध्यम से महिलाओं के जीवन में बदलाव आए इसकी साझा शुरुआत छत्तीसगढ़ एग्रीकॉन समिति, यूनिसेफ और कॉमनलैंड्स के सहयोग से सामाजिक परिवर्तन और लैंगिक समानता को बढ़ावा देना।
कार्यशाला में प्रशिक्षण अहमदाबाद की चिन्मयी जोशी (शैलजा) ने दिया । जो कई दशकों से बच्चों और महिलाओं के शिक्षा, लिंग आधारित हिंसा को खत्म करने में अपना महत्पूर्ण योगदान दे रही है । उनका कहना है कि महिलाओं को एक वस्तु की तरह, देवी की तरह या गुलाम की तरह मत देखो और समझो हमें क्यों नहीं एक इंसान की तरह देखा और समझा जा सकता है? इसके लिए उन्होंने कहा कि अपनी सोच बदलने की जरूरत है और अपने आप से शुरू करने की जरूरत है ।
कार्यशाला में विभिन्न नागरिक समाज संगठनों (सीएसओ) की सक्रिय भागीदारी देखी गई । यूनिसेफ के एसबीसी विशेषज्ञ अभिषेक सिंह, यूनिसेफ की बाल संरक्षण विशेषज्ञ चेतना देसाई और छत्तीसगढ़ एग्रीकॉन समिति के सचिव मानस बनर्जी शामिल रहे ।