जनजातीय गौरव, सम्मान और ब्रिटिश राज के कारनामों के प्रति अपनी आवाज बुलंद करने वाले महापुरूष बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती का आयोजन सी.बी.एस.ई. के द्वारा जारी दिशा निर्देशों के आधार पर कवर्धा के अति प्रतिष्ठित श्री रामकृष्ण पब्लिक स्कूल, कवर्धा में ‘‘जनजातीय गौरव पखवाड़ा‘‘ का आयोजन विभिन्न गतिविधियों एवं प्रतियोगिताओं के साथ हर्षपूर्वक संपन्न हुआ।

जिसमें सभी पंद्रह दिवस के लिए विभिन्न प्रतियोगिता सी.बी.एस.ई. के द्वारा निर्धारित की गई थी, जिसमें कक्षा 6वीं से 12वीं तक के बच्चों ने अपनी प्रतिभा बिखेरी। इस परिप्रेक्ष्य में ‘‘जनजातीय भित्ति चित्र‘‘, जिसमें बच्चों ने वर्ली आर्ट का बखूबी चित्रण किया, जनजातीय लघुकथा, जनजातीय गौरव पर आधारित प्रश्नमाला , निबंध प्रतियोगिता, वर्चुअल टूर का आयोजन जिसमें भोपाल एवं रांची के जनजातीय संग्रहालय का अवलोकन कराया गया, इसी प्रकार जनजातीय अस्मिता आधारित शानदार बस्तर नृत्य का भी भावपूर्ण आयोजन किया गया। पखवाड़ा के अंतिम दिवस अर्थात् 15 नवम्बर को भगवान बिरसा मुंडा के जन्मदिवस पर विशेष प्रार्थना सभा का आयोजन हुआ, जिसमें बिरसा मुंडा जी के तैलचित्र का पूजन अर्चन किया गया व पूरे मंच को उनके जीवन वृत्त के छविचित्रों में सजाया गया। सभी बच्चों ने अपने पखवाड़ा का विभिन्न अनुभव, मुंडा जी का जनजातीय अधिकारों के लिए संघर्ष का प्रस्तुतीकरण अपने विचारों के माध्यम से प्रस्तुत किया गया। इसी कड़ी में NCERT के द्वारा बनायी गयी बेहद ही खास डाक्यूमेंट्री फिल्म भी बच्चों को दिखाई गई, जो निश्चित रूप से बच्चों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बनेगी।

पूरे आयोजन का प्रतिनिधित्व विद्यालय के सामाजिक विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष अंशुल तिवारी एवं उनकी पूरी शैक्षणिक टीम ने किया। कार्यक्रम के संबंध में विद्यालय की प्राचार्या एम. शारदा ने कहा कि यह आयोजन जनजातीय गौरव को बताता है, एक ऐसा दिन जो हमें हमारे देश के महान जनजातीय नायकों के साहस, त्याग और अस्मिता की याद दिलाता है, बिरसा मुंडा जैसे वीरों ने न केवल स्वतंत्रता का मार्ग प्रशस्त किया बल्कि यह सिखाया कि अपनी संस्कृति, परंपरा और पहचान को गर्व से संजोकर रखना कितना आवश्यक है।

वहीं रामकृष्ण शिक्षण समिति के डायरेक्टर डाॅ. आदित्य चन्द्रवंशी ने कहा कि जनजातीय गौरव दिवस, केवल उत्सव नहीं बल्कि हमारी भारतीय सभ्यता की जड़ो का सम्मान है। बिरसा मुंडा जैसे महानाय हमें यह संदेश देते है कि संघर्ष और आत्मसम्मान ही प्रगति की असली नींव है।





