कवर्धा। जिले में जहां एक ओर सुशासन त्योहार के नाम पर प्रशासन द्वारा गांव-गांव जाकर समस्याओं के समाधान का दावा किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर बोड़ला विकासखंड के ग्राम मुड़घुसरी के ग्रामीण अपनी वर्षों पुरानी समस्या के समाधान के लिए कलेक्टर कार्यालय के चक्कर काटने को मजबूर हैं। हैरानी की बात यह है कि समस्याओं का निराकरण तो दूर, उल्टे ग्रामीणों को ही जेल भेजने की धमकी दी जा रही है।
गांव में पिछले कई सालों से चल रही पत्थर खदान—जिसका संचालन प्रवीण केसरवानी द्वारा किया जा रहा है—ने ग्रामीणों का जीना मुहाल कर दिया है। लगातार ब्लास्टिंग के चलते गांव के घरों में दरारें, भयंकर जल संकट, पर्यावरण प्रदूषण और फसलें बर्बाद होने जैसी समस्याएं सामने आ रही हैं। ग्रामीणों का कहना है कि अब ये खदान सेहत पर भी सीधा असर डाल रही है।
परेशान होकर दो महीने पहले ग्रामीणों ने जिला मुख्यालय पहुंचकर खनिज विभाग और कलेक्टर को लिखित आवेदन दिया था, जिसमें खदान के अवैध संचालन और नियमों की अनदेखी की जानकारी दी गई थी। लेकिन आज तक ना कोई जांच हुई, ना कार्रवाई। विरोध के चलते खदान कुछ दिनों के लिए बंद हुई थी, लेकिन अब फिर से ब्लास्टिंग शुरू हो गई है, जिससे लोगों का गुस्सा भड़क उठा है।
ग्रामीण अनंतराम पटेल ने बताया कि एक बार कलेक्टर ने छह ग्रामीणों को बुलाकर चर्चा की थी और खदान चालू रखने की बात कही थी। जब ग्रामीण नहीं माने, तो कलेक्टर गोपाल वर्मा द्वारा एफआईआर दर्ज कर जेल भेजने की धमकी दी गई। वहीं, कन्हैयाराम मेरावी का कहना है कि खदान संचालक पुलिस बुलाकर ग्रामीणों को धमकाता है, जबकि ग्रामसभा में खदान बंद करने का प्रस्ताव पारित हो चुका है। अब ग्रामीणों का साफ कहना है—भले ही जेल भेज दें, लेकिन खदान बंद कराकर रहेंगे।
‘The Fire News’ की टीम ने जब खनिज अधिकारी योगेश साहू और कलेक्टर गोपाल वर्मा से संपर्क करने की कोशिश की तो दोनों ही अपने कार्यालय में नहीं मिले और ना ही कोई जवाब मिला।
इस पूरी घटना से यह साफ झलकता है कि जिले में ग्रामीणों की पानी, पर्यावरण और स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याओं को नजरअंदाज किया जा रहा है, और जब लोग आवाज उठाते हैं, तो उन्हें ही डराया-धमकाया जा रहा है।
क्या यही है सुशासन?
क्या खनन माफिया प्रशासन से ऊपर हो चुका है?
और आखिर कब तक ग्रामीणों को उनके ही हक की लड़ाई लड़ने पर धमकियां मिलती रहेंगी?