आज 3 दिसंबर है। विजय उत्सव दिवस ये नाम कार्यकर्ताओं ने दिया है क्योंकि आज ही के दिन कवर्धा विधानसभा की जनता ने विजय शर्मा को सर आंखों पर बिठाया, उन्हें करीब 40 हजार वोटों से जीताकर यह साबित किया कि ना कवर्धा, ना कवर्धा की जनता किसी की बपौती नहीं है, कोई कितना भी बड़ा बलवान हो, धनवान हो या फिर तुर्रम खां हो वह यदि लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाए और फिर धन बल या जन बल से लेकर कोई भी बल का प्रयोग करें तो भी उन्हें धूल चटाने में यहां के लोग, यहां की जनता सक्षम है और उन्होंने कर दिखाया।
कभी कभी कुछ लोग कह देते हैं कि विजय शर्मा हिंदूत्व की सीढ़ी चढ़कर यह पद, यह ओहदा या फिर यह मुकाम तक पहुंचे हैं, कुछ लोग यह भी कह देते हैं कि झंडा विवाद में हाईलाइट हुए, जेल गए और फिर उनका किस्मत चमक गया। लेकिन मैं समझता हूं कि यह केवल बातें हैं, उन लोगों की बातें जो विजय शर्मा के हटकर चलने से, जो विजय शर्मा के काम करने के तरीकों से, जो विजय शर्मा के भाषण शैली से छत्तीसगढ़िया अंदाज से, जो विजय शर्मा की हवा के रूख पहचाने की अद्भुत कौशल से न जाने कितने तरह के उनके कौशल से घबराते थे। ऐसे लोगों ने ऐसे कुछ नेताओं ने शुरूआत से ही विजय की प्रतीभा से भीतर ही भीतर द्वेष रखा। उन्हें आगे बढ़ने में रूकावटें पैदा करने की नाकाम कोशिश की गई। बावजूद इसके विजय शर्मा निखरते गए। साधारण जीवनशैली लेकिन असाधारण सोच ने विजय शर्मा को असाधारण कार्य करने के लिए प्रेरित किया। लोग 2-4 साल की राजनीति में मंहगे कार से लेकर चमचमाता मकान और तमाम भौतिक सुख के साधन जुटाने लगते हैं। लेकिन विजय शर्मा अपने 20 साल से भी ज्यादा समय की राजनीति में जनपद, जिला और संगठन के कई बड़े पदों पर रहे इसके बाद भी ऐसो आराम की साधन जुटाने में कोसो दूर रहे। उनका लक्ष्य उनका सिद्धांत असाधारण कार्य करने का था और यही वजह है कि वह साधारण से असाधारण बनते गए।
आज जब वो उपमुख्यमंत्री है तब भी वह साधारण जीवन शैली पर ज्यादा यकीन रखते हैं इसीलिए कभी जमीन पर बैठकर लोगों से बातचीत करते हैं तो कभी समाज के अतिपिछड़े लोगों को अपने साथ बैठा ले जाते हैं तो कभी भी किसी से भी बातचीत कर हाल चाल जान लेते हैं उन्होंने खुद को उपमुख्यमंत्री या बड़ा नेता होने जैसा दिखाने की कोशिश नहीं की यही उन्हें असाधारण बनाता है।
एक और बात – शेर अपने स्वयं के पराक्रम से जंगल का राजा कहलाता है, विजय शर्मा को उनके पराक्रम से टिकट मिला, अपने पराक्रम से जीते, उनके पराक्रम ने उपमुख्यमंत्री बनाया, उनके पराक्रम ने गृहमंत्री जैसा पद दिलाया और आज भी अपने पराक्रम से शीर्ष नेतृत्व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के भरोसेमंद बने हुए हैं।
तो सार यह है कि, ” लाख बर्फ गिरे लाख आंधियां आए वो फूल खिलकर रहेंगे जिसे खिलना है।” जो मेहनत करेगा संघर्ष करेगा उन्हें आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता।
बहरहाल एक वर्ष पूर्ण होने पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
संजय यादव
पत्रकार, कवर्धा।