कवर्धा। ग्रामीण मजदूरों का पलायान रोकने और उन्हें अपने गांव में ही सौ दिनो का रोजगार उपलब्ध कराने केन्द्र की तात्कालिक यूपीए सरकार ने वर्ष 2005 में मनेरेगा योजना का शुभारंभ किया था। लेकिन जब से केन्द्र में मोदी और प्रदेश में विष्णुदेव की भाजपा सरकार काबिज हुई तब से इस जनकल्याणकारी योजना को हांसिए पर रख दिया गया है। स्थिति ये है कि छत्तीसगढ़ राज्य सहित कबीरधाम जिले के मजदूरों को इस योजना का समुचित लाभ नहीं मिल पा रहा है और वे रोजगार के लिए भटक रहे हैं। उक्त बातें कवर्धा कृषि उपज मण्डी के पूर्व उपाध्यक्ष चोवाराम साहू ने जारी बयान में कहीं। उन्होने केन्द्र की मोदी और प्रदेश की विष्णुदेव सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य सहित कबीरधाम जिले में इस वर्ष मनरेगा योजना के तहत पर्याप्त नए कार्यो की स्वीकृति प्रदान नहीं की गई है। उन्होने कहा कि ग्रीष्म ऋतु के इस सीजन में खेती किसानी के काम नहीं होने के कारण अधिकांश ग्रामीण मजदूरों के पास रोजी रोजगार की गंभीर समस्या खड़ी हो जाती है। ऐसे में उनके पास मनरेगा योजना ही एक सहारा है जिसमें वे मजदूरी कर आर्थिक आय अर्जित कर अपना और अपने परिवार का गुजर बसर कर सकते हैं। लेकिन दुर्भाग्य का विषय है कि भाजपा सरकार के राज में इन ग्रामीण मजदूरों को मनरेगा में कोई काम नहीं मिल पा रहा है। साहू ने आरोप लगाया कि कर्ज के बोझ तले दबी प्रदेश की भाजपा सरकार अपनी चुनावी घोषणाओं का संचालन मनरेगा योजना के मद से कर रही है। उन्होने बताया कि प्रदेश में मनरेगा योजना की राशि का उपयोग अन्य योजनाओं के साथ प्रधानमंत्री आवास योजना में किए जाने की आशंका जताई जा रही है यही वजह है कि मनरेगा योजना के तहत इस वर्ष पर्याप्त कार्य स्वीकृत नहीं किए गए है। जो की मनरेगा के मजदूरों के साथ धोखा है, अन्याय है। साहू ने कहा कि यह विधि संगत नहीं है कि आप एक योजना का संचालन करने के लिए दूसरी योजना का गला घोंट दें। उन्होने केन्द्र व राज्य सरकार से मांग की है कि ग्रामीण मजदूरों के हितों को ध्यान में रखते हुए मनरेगा योजना के तहत तत्काल नए कार्यो की स्वीकृति प्रदान की जाए।