कवर्धा। छत्तीसगढ़ में जब कांग्रेस की सरकार थी तो लोगों को बीजेपी से बड़ी उम्मीदें थीं। लोग सोचते थे कि जिस तरह कांग्रेस की सरकार में भ्रष्ट अधिकारियों को सरकार का संरक्षण प्राप्त था वह बीजेपी की सरकार आने के बाद बदल जाएगा। और यही वजह है कि छत्तीसगढ़ की जनता ने भ्रष्टाचार और भय की राजनीति से निजात पाने न केवल बीजेपी को चुना बल्कि उम्मीद से ज्यादा उन्हें सीटें दीं। लेकिन जिस तरह लोगों ने प्यार और समर्थन दिया उसके मुताबिक सरकार में कोई बड़ा बदलाव तो छोड़िए बल्कि अमूल चूल परिवर्तन भी देखने नहीं मिल रहा है।
सबसे पहले हम बात करेंगे छत्तीसगढ़ शासन के डिप्टी सीएम और गृहमंत्री विजय शर्मा के गृह जिले की। जहां की जनता को विजय शर्मा से बड़ी उम्मीदें हैं लेकिन वह उन उम्मीदों पर कितना खरा उतर पा रहे हैं अगर इस बात पर गौर करें तो रत्ती भर भी लोगों की आकांक्षाओं को पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जिले में ऐसे कई भ्रष्ट अधिकारी पदस्थ हैं जिन्हें सरकार बनने के बाद जनता की हित में बदल देना चाहिए था लेकिन शिकायतों के बाद भी कोई परिवर्तन नहीं दिखाई देना बड़ा सवाल खड़ा करता है। ठीक इसी प्रकार कृषि विभाग का कारनामा कौन नहीं जानता। फर्जी बिल बनाकर 80 लाख रुपए की गड़बड़ी करने वाले अधिकारी की शिकायत पर कार्रवाई करने का आदेश जारी होने के बाद भी उनका प्रमोशन होना सवाल खड़े करता है। उक्त अधिकारी की न केवल शिकायत हुई है बल्कि विधानसभा में भी बीजेपी के वरिष्ठ विधायक धरम लाल कौशिक द्वारा सवाल भी किया गया है। जिस पर जवाब में संबंधित मंत्री द्वारा कार्यवाही प्रक्रियाधीन बताया गया है। इसके बावजूद उक्त अधिकारी का प्रमोशन करना बड़ा सवाल है।
क्या डिप्टी सीएम विजय शर्मा के संज्ञान में यह बात नहीं है?
क्या डिप्टी सीएम विजय शर्मा स्वजातीय अधिकारी को बचा रहे हैं?
क्या डिप्टी सीएम विजय शर्मा भी अन्य नेताओं की तरह जमचा गिरी करने वाले अधिकारियों को संरक्षण देते हैं?
क्या डिप्टी सीएम विजय शर्मा के कथनी और करनी में अंतर है?
क्या डिप्टी सीएम विजय शर्मा हाथी के दांत खाने के कुछ और दिखाने के कुछ और जैसा बर्ताव कर रहे हैं?