चितेरे फाउंडेशन के डायरेक्टर एवं राष्ट्रीय पेंटिंग अवॉर्ड विजेता बलबीर प्रसाद विश्वकर्मा ने झारखंड के चक्रधरपुर क्षेत्र का तीन दिवसीय दौरा किया। इस महत्वपूर्ण यात्रा का उद्देश्य फाउंडेशन के विस्तार के लिए विभिन्न संस्थाओं से मुलाकात करना, स्थानीय कलाकारों से संवाद स्थापित करना और झारखंड की लोक कला को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मंचों से जोड़ने की दिशा में नए प्रयासों को गति देना रहा।
वार्षिक पुरस्कार वितरण समारोह में शामिल हुए अतिथि
Blossom The Little Artist Art & Craft Academy के तत्वाधान में दिनांक 23 नवम्बर 2025 को वार्षिक पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन किया गया। समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में छत्तीसगढ़ की पहली महिला पर्वतारोही नैन सिंह धाकड़ उपस्थित रहीं, जिन्हें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा राष्ट्रीय साहस पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।
कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रहे—
बलबीर प्रसाद विश्वकर्मा, डायरेक्टर – चितेरे फाउंडेशन, राष्ट्रीय पेंटिंग अवॉर्ड विजेता
अंकित विश्वास, मिस्टर छत्तीसगढ़ (बॉडी बिल्डिंग)
मिस भारती मीणा, सचिव – दक्षिण पूर्व रेलवे महिला कल्याण संगठन, चक्रधरपुर
80 बच्चों को मिला राष्ट्रीय स्तर का सम्मान
समारोह में चक्रधरपुर के करीब 80 नन्हे कलाकारों को विभिन्न कलात्मक कैटेगरी—विशेषकर भारतीय लोक कला—में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।
अकादमी के प्रतिभावान छात्र एम.डी. अदनान आज़मी को स्टूडेंट ऑफ द ईयर का सम्मान प्रदान किया गया।
साथ ही, अतिथियों के हाथों सम्मानित किए गए—
सेंट जेवियर इंग्लिश स्कूल – बेस्ट स्कूल ट्रॉफी
सोनल भौमिक (म्यूजिक शिक्षक) – भारतीय कला संस्कृति सम्मान
संगीता जी – भारतीय कला संस्कृति सम्मान
लोक कला और सोहराई पेंटिंग को बढ़ावा देने का प्रयास
चितेरे फाउंडेशन की झारखंड प्रभारी और अकादमी के डायरेक्टर एम.डी. साजिद ने बताया कि वे भारत की विविध लोक कलाओं को चक्रधरपुर से आगे बढ़ाने तथा बच्चों को प्रशिक्षण देकर इस कला के प्रति प्रेरित करने के लिए निरंतर कार्यरत रहेंगे।
झारखंड की विश्व प्रसिद्ध सोहराई चित्रकला को बच्चों के बीच प्रसारित करने के लिए भी विशेष पहल की जा रही है।
बलबीर विश्वकर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि—
“प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी विदेशी राष्ट्राध्यक्षों को सोहराई पेंटिंग भेंट करते हैं, यह इस कला की वैश्विक पहचान का प्रमाण है। हम सब कलाकार अलग-अलग फूल हैं, लेकिन यदि हम एक गुलदस्ते की तरह एकजुट हों तो पूरा विश्व हमारी कला को पसंद करेगा। कलाकारों को एक होकर आगे बढ़ना चाहिए और अपनी छुपी प्रतिभा को सामने लाना चाहिए।”
उन्होंने आगे कहा कि चितेरे फाउंडेशन एक ऐसे मंच की तैयारी कर रहा है जिसके माध्यम से भारतीय कला दुनिया के विभिन्न देशों तक पहुँचेगी, जिससे कलाकारों को उचित मूल्य मिलेगा और वे गर्व महसूस करेंगे।
झारखंड की संस्कृति से रूबरू
दौरे के दौरान बलबीर विश्वकर्मा ने चक्रधरपुर के कई कलाकारों से मुलाकात की और 250 वर्ष पुरानी केरा मंदिर जाकर वहां की परंपराओं और सांस्कृतिक धरोहर का अवलोकन किया।
अंत में उन्होंने चितेरे फाउंडेशन झारखंड टीम से आग्रह किया कि—
“फाउंडेशन के कार्यों के विस्तार पर विशेष जोर दें ताकि लोक कला और कलाकारों को बड़ा मंच मिल सके।”




