लाख एक प्राकृतिक राल है जो केरिया लक्का नामक कीट अपनी सुरक्षा हेतु शरीर से स्त्राव करता है। लाख के लाखो उपयोग होते है। इससे विद्युत इंसूलेटर, चूड़िया, रिकार्ड प्लेयर, सौंदर्य प्रसाधन की सामग्री, दवाईयों के खोल, फलों के सुरक्षित आवरण तैयार किया जाता है। अनेकों औद्योगिक इकाईयों में इसकी बहुत मांग है। वर्तमान में इसकी मांग को देखते हुए कुछ देश रसायनों से भी इसे तैयार कर रहे है।
पोषक वृक्ष:- प्राकृतिक रूप से लाख, कुसुम, बेर, सेमियालता तथा पलाश के पोषक वृक्षों में कीट संचारण कर प्राप्त की जाती है। कुसुम तथा बेर वृक्ष से प्राप्त होने वाले लाख को कुसुमी लाख कहते है तथा पलाश वृक्षों से प्राप्त लाख को रंगीनी लाख कहते है।
तैयार होने में लगने वाला समय:- पोषक वृक्षों में वृक्षों की पतली टहनियों की कटाई-छटाई करने के उपरांत हरे कोमल पत्ते आने के बाद कीट संचारण कार्य किया जाता है। कीट संचारण के पश्चात् छिली लाख तैयार होने में वृक्षों की प्रजाति अनुसार अलग-अलग समय लगता हैं। कुसुम वृक्षों में 18 माह, पलाश में 12 माह तथा बेर में 6 माह पश्चात् उत्पादन प्रारंभ होता है। अतिवृष्टि, अल्पवृष्टि, खंड वर्षा अति ठंड एवं अत्यधिक गर्मी पड़ने से उत्पादन में कमी आती है और लाख बीज (बीहन लाख) नष्ट हो जाता है। फलस्वरूप आगामी फसल प्राप्त करने हेतु लाख बीहन कृषकों के पास शेष नहीं रह पाता, परिणामस्वरूप कृषक लाख उत्पादन से वंचित हो जाते है और उन्हें आर्थिक हानि उठानी पड़ती थी।
नई योजना में बेर पौधा रोपण कर कुसुमी लाख बीहन तैयार करना:-राज्य में लाख पालन को बढ़ावा दिये जाने हेतु वर्षा कालीन सीजन में भी निरंतर बीहन लाख/छिली लाख उत्पादन हेतु कुसुम वृक्ष उपलब्ध वाले क्षेत्रों में बेर पौधे का रोपण किया जावेगा। इससे:-
1. कृषकों को बीहन संचारण उपरांत 7-8 माह बीहन लाख (2.5 वर्षों तक) पश्चात् 1 से 50 क्विंटल छिली लाख प्राप्त होगी। प्रतिवर्ष 40-50 हजार रू. आय प्रति वृक्ष आय प्राप्त होगी।
2. बेर वृक्षों के बीज से तैयार किए गए पौधों के तनों में रस की मात्रा अधिक होने के कारण 20 प्रतिशत लाख उत्पादन अधिक होता है।
3. वर्षा काल में भी बेर पर लाख की खेती अच्छी होती है।
4. बेर वृक्ष से प्राप्त बीहन को कृषक आसानी से 600 रू. किलो तक कुसुम वृक्ष वाले कृषकों को उपलब्ध करा सकते है।
5. वनीकरण क्षेत्र में वृद्धि होगी।
रोपण हेतु पौधा प्रदाय:-जिन कृषकों के पास कम से कम 10 कुसुम वृक्ष हो उन्हें 20-20 पौधा बेर प्रजाति का 5 रू. प्रति पौधा की दर से उपलब्ध कराया जावेगा। इससे लाभ यह होगा कि कुसुम वृक्ष पर समय पर कृषकों को बीहन लाख उपलब्ध हो जावेगा।
कवर्धा में लाख खेती की संचालनाः-कबीरधाम जिले के पंडरिया ब्लॉक में एक सर्वेक्षण के अनुसार भाकुर ग्राम के 37 कृषकों के पास 505, देवानपटपर ग्राम के 36 कृषकों के पास 714, छिन्हीडीह ग्राम के 24 कृषकों के पास 763, सेजाडीह ग्राम के 33 कृषकों के पास 418, पीपरटोला ग्राम के 29 कृषकों के पास 337 तथा अमीहा ग्राम के 5 कृषकों के पास 70 कुसुम वृक्ष है। प्रत्येक वृक्ष से 40-50 हजार रू. लाख पालन से प्रतिवर्ष लाभ कमा सकते है।
अपील:- समस्त ग्राम वासीयों से अपील है कि आगामी वर्षा ऋतु में अधिक-से-अधिक बेर वृक्ष रोपण करने हेतु अपना पंजीयन निकटस्थ वन परिक्षेत्र कार्यालय में कराए। वर्षा पूर्व पौधा रोपण हेतु 30X30X30 cm. साईज का गहरा खुदाई कर तेयार रखें